तुम्हारे पास रही
तो
झगड़ती रही.
अलग हुई
तो
तुम
पापा से जुदा
एक अलग कैफियत और शख्सियत
के साथ नज़र आई।
तुम्हारी हँसी, निश्छलता , भोलापन
सहनशीलता, स्नेह
भावुकता,कठोरता, संस्कारशीलता
सब प्रेरणा बन के
मौजूद रहता है हर समय।
मुझे शक्ति देता है
जूझने की,
लड़ने की,
परिस्थितियों से ...
तुम हर वक्त रहती हो
मेरे आस-पास, चारों तरफ़
मुस्कुराती
टोकती,
गुस्सा करती ...
दीपावली की रोशनी जैसे
तुम टिमटिमाती रहो
सदा, अपने बच्चों के मन-आँगन में।
तुम हर वक्त रहती हो
ReplyDeleteमेरे आस-पास, चारों तरफ़
मुस्कुराती
टोकती,
गुस्सा करती ...
bdhiya hai.
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