Monday, August 24, 2009

कोलाज















सच,

बड़ी
हसरत से एक कोलाज बनाया है,

बिखरे हुए लम्हों को चुन-चुन कर सजाया है,

यादों
की थोड़ी लेई घोली है

और

मन
की दीवार पर उसे चिपकाया है,

अब

सुकून पांव पसारे पड़ा है.








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