Tuesday, November 10, 2009

मुक्ति

तुम

अरसे अरसे बाद हँसते हो.

जब भी हँसते हो

तो लगता है

जैसे

रूह खनकती है कोई,

जैसे,

कोई सांई आए

और एक गलती माफ़ कर जाए.

2 comments:

  1. सच में उस इक हँसी को देखने के लिए हम अपनी निगाहें बिछाये रहते है।

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